
हमारे पुराणों धार्मिक ग्रंथो मी यू तो महिलाओ की स्थिति देवी के समान दर्शया गया है , लेकिन हमेशा से ही उनको अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता रहा है , चाहे वो सीता के रूप मे हो या फ़िर आज की गुडिया ...
दिल्ली मे महिलाओ की स्थिति की चर्चा करे तो राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जैसे आधुनिक शहर मे महिलाओ के खिलाप अपराध मे सबसे ज्यादा बढोत्तरी हुई है । कभी तंत्र - मंत्र के नाम पर की हत्या कर दी जाती है तो कही पड़ोसी द्वारा बलात्कार यह पीडा किसी भी रूप मे हो सकती है ।
दिल्ली मे अभी हाल ही मे एक सर्वे के अनुसार बलात्कार के ५३३ मामले और छेड़ छाड़ के ६२९ मामले दर्ज किए गए है । यह आकडे एनी बड़े शहरो की तुलना मे काफी अधिक है । ऐसे मामलो मे निरंतर ब्रिधि का सबसे बड़ा कारण है दोषी के ऊपर न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध न होना ।
यू तो हर तरह के अपराध से निपटने के लिय कानून है पर यह सब अपराध के आगे फिसड्डी नजर आते है , राष्ट्रीय महिला आयोग की माने तो बलात्कार छेड़ छाड़ एवं अगवा जैसे मामलो मे आरोप सिद्ध न होना एक चिंता का विषय है । देश भर मे २००६-०७ मे ३७ हजार मामले सामने आए है जिनमे दोष सिद्धि का प्रतिशत ३० से भी कम था , और एक बात बलात्कार के मामले मे तो यह आकडा २७ % से अधिक नही बढ़ पाया ।
समाज मे बलात्कार पिडिता एक दर्द लिए हर दिन मरती रहती है , ऐसे मे इन पिदितो के लिए कुछ प्रावधान होने चाहिए ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सके । ज्यादातर मामलो मे पिडिता बदनामी के डर से पुलिस मे मामला दर्ज ही नही कराती है ।
"जियाउददीन"
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