
अपराध से जुडी खबरों से अक्सर ये पाया की लोगो
को अब हादसे के बाद हल्ला मचाने में काफी मजा आता है....हादसे में कोई घायल हो जाये या फिर किसी की मौत,तमाशाई बिना कुछ सोचे समझे वो सब कुछ करते है जो इन्सान की परेशानी का कारण बन जाता है...सड़क हादसे के बाद जो मौके पर स्थिति बनती है वो देखने लायक होती है...हादसे में किसी की जान चली गई तो लोग सारा काम छोड़कर मौके पर गति अवरोधक बनाने से लेकर उचित मुआवजे की मांग करने लगते है और सड़क पर जाम लगा दिया जाता है....कभी-कभी भीड़ में ज्यादा उत्साही या यूँ कहे की शरारती तत्वों की उकसाऊ प्रवित्ति वाहनों में आग लगने की वजह भी बन जाती है...मौके पर लाश घंटो तमाशाइयो की वजह से अंतिम क्रिया-कर्म के लिए उन पुलिस वालो की कार्यवाही का इन्तेजार करते पड़ी रहती है जो खुद एसडीम,तहसीलदार जैसे सरकारी नौकरों का इंतजार करते तमाशाइयो का तमाशा देखती है.... मूक दर्शक की तरह खड़ी पुलिस हर परिस्थिति से निपटने तैयार दिखती है,लेकिन मौके पर होता तमाशा उनकी लाचारी को छिपा नही पता...ये तो हुआ हादसे के बाद पुलिस और उग्र भीड़ का अक्सर दिखाई पड़ने वाला किस्सा...अब मै अपने उस अनुभव को बता रहा हू जिससे अक्सर मेरा पाला पड़ता रहा है...हादसा हुआ,हादसे में किसी की मौत हो गई,उसके बाद सैकड़ो लोग सारा काम-धाम छोड़कर मौके पर प्रदर्शन के लिए जुट गए लेकिन उस भीड़ में करीब-करीब ९० फीसदी लोग नही जानते मरने वाला कौन था,क्या करता था और कहाँ का रहने वाला था...लोग एक दुसरे को देखकर आवाज बुलंद करते है...बात कल {३ दिसंबर}ही की तो है,बिलासपुर के तोरवा थानाक्षेत्र के महमंद बाइपास से थोडा आगे एक ट्रेलर ने राह चलते बुजुर्ग को इस कदर रौंद दिया था कि उसे पहचान पाना आसान नही था...मरने वाले के कुछ जान-पहचान वाले उसके पीछे-पीछे चल रहे थे,इस वजह से मरने वाले की शिनाखत्गी में ज्यादा वक्त नही लगा.... ट्रेलर के पिछले चक्के में बुरी तरह से फंसकर अकाल मौत के मुंह में समाये उस बुजुर्ग का नाम जीवराखन था...ग्राम धूमा का रहने वाला जीवराखन सब्जी बेंचकर आजीविका चला रहा था....हमेशा की तरह मौत के बाद मौके पर मुआवजा,सड़क निर्माण और कई मांगो का मुह्जुबानी पुलिंदा लिए लोगो की भीड़ जमा हो गई...हर कोई जीवराखन की मौत के बाद जागा नजर आया,सबको लगा अब ये रास्ता बड़े वाहनों के लिए बंद होना चाहिए...गाँव के जिस रास्ते पर बड़े-बड़े वाहनों के आवागमन का सिलसिला बेरोक-टोक जारी है वो पास ही एक बड़े आदमी की फेक्ट्री तक जाता है....इस वजह से कुछ{नेता टाइप} दबी जुबान,तो कुछ दुसरो से बुलवाना चाह रहे थे ताकि रास्ता भी बंद ना हो और फैक्ट्री मालिक से व्यव्हार भी बना रहे...खैर,हादसे की खबर पुलिस को लगी वो मौके पर पहुंचकर लोगो को शांत करवाने में जुट गई,हालाँकि पुलिस नाराज लोगो को शांत करवाने में नाकाम ही रही... पुलिस के कुछ अधिकारी गुस्साई भीड़ को तरह-तरह का झांसा देकर मामला शांत कराने की जद्दोजहद कर ही रहे थे कि अचानक भीड़ के बीच से आवाज आई "क्या बात करते हो साहेब हम जैसे ही सड़क से हटेंगे आप हमारी मांगे तो दूर हमको पहचानने से भी इंकार कर दोगे"....मतलब लोग जान चुके है कि जो कुछ होगा मौके पर ही होगा...इधर पुलिस भी जानती थी कि जब तक प्रसाशन का कोई नुमाइंदा नही आएगा तब तक बात नही बनने वाली ना लोग शांत होने वाले....हादसे की खबर सुनकर कुछ पुलिस वाले सुबह से आये थे,शायद इसीलिए भूखा गए थे बेचारे....पास के एक छोटे से ठेले में भजिया,समोसा देखकर पुलिस वाले वही लपक लिए...उन्होंने सोचा मरने वाला मर गया,तमाशा करने वाले जब तक बड़े साहेब नही आएँगे तब तक शांत नही होंगे तो क्यों ना पेट पूजा कर ली जाये...इधर लोग सड़क जाम कर पास की एक गुमटी को तोड़कर आग लगाते रहे,कुछ सड़क पर खड़े होकर हंगामा मचाने वालो की हाँ में हाँ मिलाते रहे और ट्रेलर के पहिये के नीचे दबी जीवराखन की लाश करीब सात घंटे तक अंतिम क्रिया-कर्म का इन्तेजार करती रही............
ZIAUDDIN
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