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Monday, December 20, 2010

हृदयाघात रोकिये, काली चाय पीजिये

नीदरलैंड में ७८ प्रतिशत लोग काली चाय (बिना दूध वाली) पीते हैं. वहां शोधकर्ताओं
ने पाया है कि प्रतिदिन ३ से ६ प्याला चाय पीने वालों में १ प्याला प्रतिदिन चाय
पीने वालों के सापेक्ष हृदयाघात की संभावना ४५ प्रतिशत कम होती है, जब कि
प्रतिदिन ६ प्याला से अधिक चाय पीने वालों में यह प्रतिशत केवल ३६ प्रतिशत पाया
गया. इन शोध परिणामों से ऐसा लगता है कि अधेड़ मनुष्य को ४-५ प्याला काली चाय
प्रतिदिन पीना ह्रदय के स्वास्थ के लिए लाभकर होता है. इन्ही शोधकर्ताओं ने यह भी
पाया कि काफी पीना ह्रदय के स्वास्थ के लिए उतना लाभकर नहीं है.   


यदि हम भारत में चाय पीने की आदत और प्रचलन को
देखते हैं तो इन्हें दुखदायी पाते हैं. प्रथम तो यहाँ अधिकाँश लोग चाय में दूध का
उपयोग करते हैं जिससे लाभ यह होता है कि घटिया किस्म की चाय पत्ती जो आम तौर पर
उपयोग की जाती है, भी स्वाद खराब नहीं कर पाती. दूध का स्वाद पत्ती के अस्वाद को
लुप्त कर देता है. किन्तु चाय में दूध का उपयोग दन्त-क्षय का महत्वपूर्ण कारण सिद्ध
होता है. दूध शीघ्रता से सड़ने वाला द्रव्य है, इसलिए इसे पीने के तुरंत बाद कुल्ला
करके मुख को स्वच्छ किया जाना चाहिए. किन्तु चाय पीने के बाद तापमान में अंतर के
कारण तुरंत कुल्ला नहीं किया जा सकता. इसलिए चाय के साथ जो दूध के कण दांतों में
लगे रह जाते हैं, वे सडन उत्पन्न करते हैं. इसके विपरीत काली चाय दांतों में लगे
पायरिया की भी चिकित्सा करती है.

भारतीय घरों में मैंने बहुधा पाया है कि
चाय बनाते समय उसमें दूध और शक्कर दल कर अच्छी तरह उबाला जाता है. इस प्रक्रिया में
शक्कर में चिपचिपाहट उत्पन्न हो जाती है जो चाय पीने पर दांतों में चिपक जाती है और
देर तक लगी रहने पर पायरिया रोग को जन्म देती है जिसमें दूध की उपस्थिति का भी
सहयोग होता है. इस प्रकार भारत में प्रचलित चाय स्वास्थकर न होकर हानिकर सिद्ध होती
है.
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चाय की पाती में औक्सीकारक-निरोधी द्रव्य होते हैं जिनकी
मात्रा हरी पत्ती में अधिक होती है. इसके कारण चाय को यदि उक्त दोषों से मुक्त रखा
जाए तो स्वास्थ के लिए लाभकर सिद्ध होती है. इसमें उपस्थित कैफीन भी शरीर को चुस्त
करती है. इसलिए ४० के बाद चाय अवश्य पीजिये किन्तु ज़रा संभल कर -


  • चाय पत्ती की गुणता पर विशेष ध्यान दें, इसमें लगभग २० प्रतिशत हरी पत्ती मिला
    लें. 
  • चाय बिना दूध वाली (काली) ही पियें. यदि शरीर को दूध की आवश्यकता समझें तो दूध
    पियें और उसके तुरंत बाद दांतों पर उंगली रगड़ कर कुल्ला करें.
  • चाय में शक्कर अपने स्वाद के अनुसार पीने के पूर्व प्याले में ही डालें. काली
    चाय बिना शक्कर के भी पी जा सकती है, किन्तु इसके लिए कुछ आदत डालने की आवश्यकता
    होती है. 
  • काली चाय के प्याले में कुछ बूंदे नीबू रस की डाली जा सकती हैं, इससे स्वाद भी
    सुधरता है और चाय के साथ शरीर को विटामिन सी भी प्राप्त हो जाता है. 


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