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Saturday, December 11, 2010

राखी तुने ये क्या किया रे...



टीवी चैनल्स अब किसी भी स्तर तक  गिर सकते  है...हालत इतनी बिगड़ चुकी है की टीवी प्रोग्राम अब लोगो की जान तक लेने लगे है.... प्रोग्राम के जरिये अश्लीलता परोसने वालो को शायद वो सब कुछ अच्छा लगता है और जनता भी वो सब खुशी-ख़ुशी देखती है या ये कहे की जनता अब वो ही देखना चाहती है जिसमे सब दिखे....शायद इसीलिए अश्लीलता पसंद लोगो को इन दिनों "राखी का इंसाफ''काफी लुभा रहा है....अश्लील बाते,गन्दी गालिया सुनकर लोग ठहाके लगा रहे है....प्रोग्राम में इंसाफ की देवी {राखी सावंत} को तंग कपड़ो में देखने वालो की ख़ुशी का ठिकाना नही होता...पिछले पाँच साल में राखी ने अलग-अलग हथकंडो के जरिये खूब पब्लिसिटी बटोरी,फिर वो मिका के किस का मामला हो या फिर "राखी का स्वयम्बर"....इस आइटम गर्ल ने वो सब कुछ किया जो भारतीय संस्कृति एक औरत को करने की छुट नही देती...बाजार में नग्नता पसंद लोगो की खास पसंद बनी राखी अब इंसाफ की देवी बन बैठी है...."राखी का इंसाफ"कुछ इस तरह का होता है की लोग आपस में मारपीट तक करते देखे जा सकते है...पिछले दिनों एक एपिसोड में राखी के  इंसाफ ने प्रेमनगर[भिंड] के लछमण अहिरवार को मौत की नींद सुला दिया...एपिसोड में लक्षमण  की मर्दानगी पर सवाल खड़े कर दिए गए,राखी के इंसाफ में "इंसाफ" मिलने की उम्मीद लिए पंहुचा लछमण अब इस दुनिया में नही है.....मौत के दो दिन बाद लक्ष्मण  की माँ ने थाने में राखी के खिलाफ अपराध दर्ज करवाया ....विभिन्न धाराओ   के तहत पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया ...मगर सवाल यहाँ ये खड़ा होता है की क्या सम्बंधित चैनल उस व्यक्ति की मौत के लिए  जिम्मेदार नही है ? क्या इस समाज को ऐसे कार्यक्रमो के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा नही खटखटाना चाहिए जो लोगो की जान लेने तक को उतारू हो गए है  ?
                                             सवाल कई है लेकिन जवाब कोई खुलकर नही देना चाहता....एक वक्त था जब टीवी पर "जनता की अदालत" और किरण बेदी की " कचहरी " लगती थी....उन कार्यक्रमों ने कई ज्वलंत मुद्दों को बेबाकी से उठाया,लोगो का विश्वाश टीवी और इंसाफ के उन कार्यक्रमों से बढ़ा ....हालाँकि मै जिस " जनता की अदालत" और "कचहरी" का जिक्र कर रहा हू उसकी तुलना " राखी के इंसाफ " से करना गलत होगा....राखी नाम की आइटम गर्ल इंसाफ के नाम पर अश्लीलता परोस रही है,लोग टीवी के सामने मजमा लगाये इंसाफ का नंगा नाच देख रहे है...इंसाफ,न्याय जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर न्यायिक व्यवस्था पर करारा तमाचा मारने वाले कई टीवी प्रोग्राम धडल्ले से चल रहे है और सूचना प्रसारण मंत्रालय है की सब कुछ जान कर भी अनजान बनने  का नाटक कर रहा है....बदन पर सब कुछ दिखा देने वाले कपडे,घडी की सुई की तरह चेहरे के बदलते भाव बताते है राखी आखिर क्या है?....खुद का स्वयम्बर रचाने से लेकर कथित पति को छोड़ने तक राखी ने काफी कुछ ड्रामा किया....टीवी  पर स्वयम्बर रचाने वाली आइटम गर्ल ने चंद दिनों में ऐलान भी कर दिया की उसका पति कुछ ऐसा करने को कहता है जो वो नही कर सकती,राखी ये भी कहती है की उसमे[पति]काफी कमी थी....राखी की अपने चंद दिनों के पति के खिलाफ इस तरह की बेबाक टिप्पणी मैंने स्टारन्यूज़ पर देखी थी.... खुद के घर परिवार की उलझी कड़ीयो को आज तक ना सुलझा पाने  वाली राखी अब लोगो के टूटे आशियाने को बसाने,परिवार की उलझी कड़ीयो को सुलझाने के लिए इंसाफ की कुर्सी पर बैठी है, जहाँ से  इन्सान को कथित इंसाफ की देवी ऐसी मानसिक  यातना देती है जिससे ग्रसित इन्सान "लक्ष्मण" की तरह मौत को गले लगा लेता है.....
                                                                                    सबसे बड़ी बात ये रही की एक व्यक्ति मानसिक यातना से टूटकर जान दे देता है और मानवधिकार की रक्षा के लिए लड़ने वाले,टीवी चैनल्स ख़ामोशी से सब बर्दाश्त कर जाते है....प्रेमनगर में  जिस दिन  लक्ष्मण की मौत का मातम होता  है उस दिन भी टीवी चैनल पर "राखी का इंसाफ"चल रहा होता है...लोग आधुनिक वस्त्रो या यू कहें की अर्धनग्न आइटम गर्ल को जज के रूप में देखकर तालिया पीटते रहे,अपने मुंह में ऊँगली डालकर सिटी मारने वाले अश्लीलता पसंद लोगो की जुबान पर ये नही आया " राखी तुने ये क्या किया रे....."



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