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सवाल कई है लेकिन जवाब कोई खुलकर नही देना चाहता....एक वक्त था जब टीवी पर "जनता की अदालत" और किरण बेदी की " कचहरी " लगती थी....उन कार्यक्रमों ने कई ज्वलंत मुद्दों को बेबाकी से उठाया,लोगो का विश्वाश टीवी और इंसाफ के उन कार्यक्रमों से बढ़ा ....हालाँकि मै जिस " जनता की अदालत" और "कचहरी" का जिक्र कर रहा हू उसकी तुलना " राखी के इंसाफ " से करना गलत होगा....राखी नाम की आइटम गर्ल इंसाफ के नाम पर अश्लीलता परोस रही है,लोग टीवी के सामने मजमा लगाये इंसाफ का नंगा नाच देख रहे है...इंसाफ,न्याय जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर न्यायिक व्यवस्था पर करारा तमाचा मारने वाले कई टीवी प्रोग्राम धडल्ले से चल रहे है और सूचना प्रसारण मंत्रालय है की सब कुछ जान कर भी अनजान बनने का नाटक कर रहा है....बदन पर सब कुछ दिखा देने वाले कपडे,घडी की सुई की तरह चेहरे के बदलते भाव बताते है राखी आखिर क्या है?....खुद का स्वयम्बर रचाने से लेकर कथित पति को छोड़ने तक राखी ने काफी कुछ ड्रामा किया....टीवी पर स्वयम्बर रचाने वाली आइटम गर्ल ने चंद दिनों में ऐलान भी कर दिया की उसका पति कुछ ऐसा करने को कहता है जो वो नही कर सकती,राखी ये भी कहती है की उसमे[पति]काफी कमी थी....राखी की अपने चंद दिनों के पति के खिलाफ इस तरह की बेबाक टिप्पणी मैंने स्टारन्यूज़ पर देखी थी.... खुद के घर परिवार की उलझी कड़ीयो को आज तक ना सुलझा पाने वाली राखी अब लोगो के टूटे आशियाने को बसाने,परिवार की उलझी कड़ीयो को सुलझाने के लिए इंसाफ की कुर्सी पर बैठी है, जहाँ से इन्सान को कथित इंसाफ की देवी ऐसी मानसिक यातना देती है जिससे ग्रसित इन्सान "लक्ष्मण" की तरह मौत को गले लगा लेता है.....
सबसे बड़ी बात ये रही की एक व्यक्ति मानसिक यातना से टूटकर जान दे देता है और मानवधिकार की रक्षा के लिए लड़ने वाले,टीवी चैनल्स ख़ामोशी से सब बर्दाश्त कर जाते है....प्रेमनगर में जिस दिन लक्ष्मण की मौत का मातम होता है उस दिन भी टीवी चैनल पर "राखी का इंसाफ"चल रहा होता है...लोग आधुनिक वस्त्रो या यू कहें की अर्धनग्न आइटम गर्ल को जज के रूप में देखकर तालिया पीटते रहे,अपने मुंह में ऊँगली डालकर सिटी मारने वाले अश्लीलता पसंद लोगो की जुबान पर ये नही आया " राखी तुने ये क्या किया रे....."
ZIAUDDIN
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