
निर्देशक : समीर कार्णिक
तकनीकी टीम : निर्माता- समीर कार्णिक, नितिन मनमोहन, गीत- आनंद बख्शी, अनु मलिक, राहुल सेठ
दबंग फिल्म की सफलता ने हिंदी सिनेमा के कथानक को उत्तर भारत की ओर मोड़ दिया
है। हिंदी प्रदेश का छूट रहा विशाल दर्शक वर्ग फिर से मुंबई के निर्माता-निर्देशकों
के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। यमला पगला दीवाना हिंदी प्रदेश के फिल्म प्रेमियों के
साथ-साथ अप्रवासी भारतीयों को ध्यान में रखकर बनाई गई साफ-सुथरी पारिवारिक मनोरंजक
फिल्म है।
उल-जुलूल, फूहड़ और अर्थहीन संवादों के जरिए हास्य उत्पन्न करने की बजाए
यमला पगला दीवाना सहज रोमांचक परिस्थितियों और रोचक संवादों से हंसाती है। जसविंदर
बथ लिखित फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है। लेखक-निर्देशक ने इस बात को फिल्म के
आरंभ में ईमानदारी से स्वीकार किया है कि एक परिवार के बिछड़ने और मिलने की कहानी
बहुत पुरानी है।
प्रशंसा इस बात की करनी होगी कि जसविंदर ने धर्मेन्द्र, सनी देओल
और बॉबी देओल की स्थापित छवि और क्षमताओं को मद्देनजर रखकर पुरानी कहानी को रोचक
अंदाज में पेश किया है। मां, बीवी और बच्चों के साथ परमवीर कनाडा में रहता है। एक
मेहमान जब उनके घर में टंगी एक तस्वीर को देखकर चीखने लगता है कि उन्होंने उसे
बनारस में ठगा था तो परमवीर को यकीन हो जाता है कि उसके पिता और छोटा भाई बनारस में
हैं। पिता-भाई की खोज में परमवीर बनारस जाता है। बनारस पहुंचते ही परमवीर की
मुलाकात ठग भाई गजोधर और पिता धरम से हो जाती है, पर धरम उसे बेटा मानने से इंकार
कर देते हैं।
गजोधर परमवीर की ताकत का लाभ उठाने के लिए उसे अपनी गैंग में शामिल कर
लेता है। पिता और भाई को पाने के लिए परमवीर उनके साथ ठगी के धंधे में उतर जाता है।
बनारस पर किताब लिखने शहर में आई साहिबां से गजोधर को प्यार हो जाता है। साहिबां को
हासिल करने के प्रयास में परमवीर का बिछड़ा परिवार एक हो जाता है।
यमला पगला दीवाना का आकर्षण धर्मेन्द्र, सन्नी देओल और बॉबी देओल हैं। तीनों का
अभिनय सराहनीय है। कॉमिक, इमोशनल, एक्शन दृश्यों में धर्मेन्द्र और सनी देओल हंसाते
और रूलाते हैं। इंटरवल के पूर्व न सिर्फ यमला पगला दीवाना के कुछ दृश्य बल्कि बॉबी
देओल की संवाद अदायगी भी दबंग से प्रभावित है।
दो आइटम सांग, बॉबी-कुलराज पर फिल्माया रोमांटिक सांग और मिर्जा-साहिबा की प्रेम कहानी ने फिल्म को लंबा कर दिया है। कुलराज रंधावा सुंदर हैं, परंतु जब वे स्नातक को सनातक बोलती हैं तो दुख होता
है। अनुपम खेर का अभिनय उल्लेखनीय है। सुचेता खन्ना पोली की भूमिका में ध्यान
खींचती हैं। यमला पगला दीवाना में इंटरवल के बाद ओरिजिनल रंग नजर आता है। पंजाब में
पंहुचने के बाद फिल्म एक पल सोचने का मौका नहीं देती। सिर्फ हंसाती है। समीर
कार्णिक की यह अब तक की सबसे अच्छी फिल्म है।
"जियाउददीन"
समीर कार्णिक की यह अब तक की सबसे अच्छी फिल्म है........
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